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**घर पर मैं बस किट्टू हूँ कृति खरबंदा की सादगी, जड़ें और माता-पिता के अनमोल योगदान पर बात*

 **घर पर मैं बस किट्टू हूँ कृति खरबंदा की सादगी, जड़ें और माता-पिता के अनमोल योगदान पर बात*


हाल ही में एक इंटरव्यू में कृति खरबंदा ने जो बातें कहीं, वो हमें ये याद दिलाती हैं कि हमारे माता-पिता हमारे जीवन में कितनी चुपचाप और निस्वार्थ भूमिका निभाते हैं। इस बातचीत में कृति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हम अक्सर अपने माता-पिता को उस श्रेय के लायक नहीं समझते, जो उन्होंने हमें पालने और हमें वो इंसान बनाने में दिया है जो हम आज हैं।



कृति ने कहा,

"मुझे नहीं लगता कि हम अपने माता-पिता को वो क्रेडिट देते हैं जो वो डिज़र्व करते हैं। मैं वो इंसान बनना चाहती हूँ। मैं उन्हीं की तरह बनना चाहती हूँ।"

उन्होंने अपने बैंगलोर के घर की झलक भी दी, जहाँ आज भी सादगी ही जीवन का मूल है।


"मेरे अंदर जो सादगी है, वो सिर्फ इसलिए है क्योंकि वो अभी तक simple हैं। हमारे दोनों के घरवाले बहुत normal families से हैं। कभी ये नहीं कहा कि हमें Mercedes चाहिए या बड़ा घर चाहिए।"


फिल्मी दुनिया में नाम कमाने के बावजूद, कृति और उनके पति पुलकित सम्राट दोनों के परिवार आज भी एक सादा जीवन जीते हैं। कृति का बैंगलोर वाला घर ना तो शाही स्टाफ से भरा है और ना ही वहाँ कोई दिखावे की जिंदगी है।

"मम्मी तब भी रोड क्रॉस करके सब्ज़ी लेने जाती थीं, और आज भी वैसा ही करती हैं," कृति ने मुस्कुराते हुए कहा।


और शायद सबसे प्यारी बात उन्होंने आख़िर में कही:

"जब मैं घर जाती हूँ न, मैं किट्टू ही होती हूँ।"

एक सीधी-सादी बात, लेकिन उसमें प्यार, विनम्रता और सच्चाई छुपी है।

कृति की ये बातें बताती हैं कि असली सफलता वही है जो आपको अपनी जड़ों से जोड़कर रखे – ना कि उनसे दूर करे।


हाल ही में कृति को राणा नायडू 2 में एक मजबूत और परतदार किरदार निभाते हुए देखा गया। लेकिन रील लाइफ से हटकर, उनकी रियल लाइफ आज भी उतनी ही ज़मीन से जुड़ी हुई है – ग्लैमर से दूर, लेकिन असली मूल्यों से भरी हुई।

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