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भामला फाउंडेशन और बीएमसी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ अभियान की शुरुआत की

 भामला फाउंडेशन और बीएमसी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ अभियान की शुरुआत की


मुंबई, 5 जून, 2025: भामला फाउंडेशन ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के साथ मिलकर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्लास्टिक प्रदूषण को हराओ अभियान शुरू किया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा समर्थित, यह अभियान - जिसमें बॉलीवुड सितारे अजय देवगन और शरवरी वाघ शामिल हुई - प्लास्टिक प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों और "अर्थिंग" के माध्यम से प्रकृति से फिर से जुड़ने की आवश्यकता को संबोधित करता है। इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और हमारे ग्रह के संसाधनों की रक्षा करने और पर्यावरण संतुलन को बहाल करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करना है।

भामला फाउंडेशन के चेयरमैन आसिफ भामला ने कहा, "सार्थक परिवर्तन लाने के लिए पूरे समुदाय को एकजुट करना ज़रूरी है। बीएमसी के साथ हमारी साझेदारी इस बात का उदाहरण है कि कैसे सामाजिक संगठन और प्रशासन मिलकर पर्यावरणीय सुधार की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं। व्यवहार में बदलाव एक चुनौती है, लेकिन सरल और भावनात्मक रूप से जुड़ने वाला संवाद, जब प्रभावी अपील के साथ पेश किया जाए, तो वह बदलाव ला सकता है। जैसे – सिंगल यूज़ प्लास्टिक बोतलों की जगह टिकाऊ विकल्प अपनाना, मिट्टी, पौधों और पर्यावरण की रक्षा करना – ये छोटे लेकिन जीवन रक्षक कदम हैं। इन प्रभावशाली फिल्मों के ज़रिए हम टिकाऊ जीवनशैली को फिर से जीवित करने और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने की उम्मीद करते हैं।"

इस अभियान का मूल केंद्र बिंदु दो-भाग की एक डिजिटल फिल्म श्रृंखला है, जिसका निर्देशन मशहूर फिल्मकार इम्तियाज़ अली ने किया है और जिसमें अजय देवगन और शारवरी वाघ नज़र आ रहे हैं। ये फिल्में हमारी रोज़मर्रा की आदतों की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं, और एक अधिक जागरूक, प्रकृति से जुड़ी जीवनशैली अपनाने का संदेश देती हैं।




‘प्यासा’ में, अजय देवगन एक शक्तिशाली दृश्य में प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने से इनकार करते हैं और कहते हैं:
"जो प्लास्टिक धरती की प्यास बढ़ाएगा, मेरी प्यास क्या बुझाएगा?"
फिल्म का अंत वह एक मिट्टी के कुल्हड़ से पानी पीते हुए करते हैं – एक प्रतीकात्मक कृत्य जो दर्शकों को पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

‘अर्थिंग’ में, शहरी शोरगुल और अस्त-व्यस्त जीवन के बीच, अजय देवगन घास पर लेटकर स्वयं को “ग्राउंड” करते हैं। जब शारवरी उनके इस व्यवहार पर सवाल करती हैं, तो वे जवाब देते हैं:
"इंसान का भी फ्यूज़ उड़ सकता है... वायरिंग ठीक रखने के लिए, अर्थिंग ज़रूरी है।"
यह संदेश स्पष्ट है – आधुनिक जीवन की अफरा तफरी में, प्रकृति से जुड़ना न केवल सुकूनदायक है, बल्कि ज़रूरी भी है।

अभियान से अपने जुड़ाव पर टिप्पणी करते हुए, बॉलीवुड अभिनेता और विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के ग्लोबल एंबेसडर, अजय देवगन ने कहा, "पर्यावरण केवल वैश्विक मुद्दा नहीं, व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है। मैंने यह अभियान इसलिए चुना क्योंकि यह बहुत ही सरल लेकिन प्रभावशाली बदलावों को दर्शाता है जिन्हें हम सभी अपना सकते हैं। प्लास्टिक का बहिष्कार और धरती से फिर से जुड़ाव – ये दोनों कदम हमारी पृथ्वी के लिए बेहद ज़रूरी हैं। इस पहल का हिस्सा बनकर मुझे गर्व है, और मैं मानता हूं कि सामूहिक प्रयासों से हम वास्तविक बदलाव ला सकते हैं।"

शरवरी वाघ ने कहा, "इस परियोजना ने मुझे यह एहसास दिलाया कि हम कितनी कम बार वास्तव में प्रकृति से जुड़ते हैं। फिल्म में मेरा किरदार अजय सर के व्यवहार पर सवाल उठाता है, लेकिन अंत तक वह समझने लगती है – और मैं भी। आज का युवा हमेशा तकनीक से जुड़ा रहता है, लेकिन ज़रूरी है कि हम धरती से भी जुड़ें। यह अभियान आपको केवल बदलाव के लिए नहीं कहता, यह दिखाता है कि यह बदलाव कितना सुंदर और आसान हो सकता है।"

निर्देशक इम्तियाज अली ने कहा"‘प्यासा’ और ‘अर्थिंग’ दोनों ही फिल्में चिंता और उम्मीद की भावना से उपजी हैं। ‘प्यासा’ में हमने प्यास जैसी बुनियादी मानवीय ज़रूरत के जरिए दिखाया कि हम प्रकृति से कितने दूर हो गए हैं, और कैसे प्लास्टिक – एक अप्राकृतिक चीज़ – हमारी आदत बन गई है। ‘अर्थिंग’ में हमने शहरी हलचल के बीच एक शांति का क्षण पेश किया। ये फिल्में केवल जागरूकता फैलाने के लिए नहीं हैं, बल्कि भावनाओं को जगाने और उन आदतों पर सोचने के लिए हैं, जिन्हें हम सवाल करना बंद कर चुके हैं।"

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