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निर्मात्री प्रेरणा अरोड़ा ने खोले 'जटाधारा' की आध्यात्मिकता के साथ काली दुनिया के राज़

 *निर्मात्री प्रेरणा अरोड़ा ने खोले 'जटाधारा' की आध्यात्मिकता के साथ काली दुनिया के राज़* 



ज़ी स्टूडियो और प्रेरणा अरोड़ा की फिल्म ‘जटाधारा’ का ट्रेलर रिलीज़ होते ही यह फिल्म देशभर में जबरदस्त चर्चा का विषय बन गई है। विशेष रूप से फिल्म की भावनात्मकता के साथ भव्य विज़ुअल्स ने जहां दर्शकों को झकझोर कर रख दिया है, वहीं सुधीर बाबू के शक्तिशाली आध्यात्मिक किरदार और सोनाक्षी सिन्हा के रहस्यमय और खतरनाक अवतार ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध और स्तब्ध कर दिया है। ऐसे में 7 नवंबर 2025 को भारत के सभी सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही सुपरनैचुरल फिल्म 'जटाधारा' एक अविस्मरणीय सिनेमा का अनुभव देने का वादा करती है।

इस सिलसिले में फिल्म की निर्मात्री प्रेरणा अरोड़ा कहती हैं, “ट्रेलर को जिस तरह दर्शकों का प्रतिसाद मिला है, यह मेरे लिए काफी भावुक और प्रेरणादायक है। सच कहूँ तो निर्माता के रूप में यह मेरे ‘विश्वास’ को हमेशा बल देता रहा है। विशेष रूप से जब मैंने ‘रुस्तम’, ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ और ‘पैडमैन’ जैसी फिल्में बनाई थीं, तब भी उन सभी फिल्मों के विषयों ने मुख्यधारा सिनेमा में पहली बार आने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर चर्चा पैदा की थी। यही दृढ़ विश्वास मुझे अपनी अगली फिल्म ‘जटाधारा’ के साथ भी था और अब जब लोग उससे इतनी गहराई से जुड़ रहे हैं, तो मेरे लिए यह बेहद संतोषजनक है।

हालांकि जब उनसे ‘स्त्री 2’, ‘मुंझ्या’ और ‘कांतारा’ जैसी हालिया सुपरनैचुरल फिल्मों के संदर्भ में पूछा गया, तो प्रेरणा ने कहा, “‘जटाधारा’ इन सबसे अलग है क्योंकि यह न तो कॉमेडी है और न फैंटेसी। यह आध्यात्मिकता के साथ सिर्फ काले जादू या डर के बारे में नहीं है, बल्कि विश्वास से जुड़े उन मासूम साधारण लोगों की कहानी है, जो असाधारण शक्तियों में उलझ जाते हैं। यहाँ डर सिर्फ दिखाई नहीं देता, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है। हालांकि यहां हम काले जादू के ज़रिये उसका मनोरंजन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसके परिणामों की बात कर रहे हैं।"



समाज में फैले काले जादू जैसे वर्जित विषय पर बात करते हुए प्रेरणा ने यह भी बताया, “यह काल्पनिक नहीं, बल्कि सच्चाई है। आज हम भले ही सोशल मीडिया और पॉडकास्ट के युग में जी रहे हों, फिर भी काले जादू से जुड़ी घटनाओं की कहानियां छोटे-छोटे गाँवों और प्रांतों के साथ बड़े-बड़े शहरों और प्रभावशाली जगहों से भी सामने आ रही हैं। हालांकि ‘जटाधारा’ इसे सनसनीखेज़ बनाने की बजाय सच्चाई के साथ दिखाती है। यहाँ काला जादू किसी साइड ट्रैक की तरह नहीं, बल्कि कहानी की आत्मा है, जो किरदारों की तकदीर तय करती है।

गौरतलब है कि फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर सेंसर प्रक्रिया के दौरान काफी चुनौतियाँ आईं लेकिन फिल्म टीम ने अपने विज़न से कोई समझौता नहीं किया।  इस पर प्रेरणा कहती ती हैं, “ऐसे विषय पर हमें पहले से ही पता था कि यह हम सबके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। यही वजह है कि अपनी पिछली हॉरर फिल्म ‘परी’ के बाद मैं बहुत स्पष्ट थी कि हम फिल्म की ईमानदारी को न तो कम करेंगे, न बदलेंगे। हमें ‘ए’ सर्टिफिकेट मिला, वह भी बहुत मामूली कट्स के साथ और इसका मुझे कोई अफ़सोस नहीं। मैं समझती हूँ हम सभी को ‘जटाधारा’ को उसी तरह देखना चाहिए, जैसे वह बनी है। हालांकि मैं सेंसर बोर्ड का आभार मानती हूँ कि उन्होंने मेरी फिल्म की आत्मा को समझा और पूरे विश्वास के साथ इसे पास किया।

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