Breaking Posts

6/trending/recent
Type Here to Get Search Results !

सेंसर बोर्ड की कसौटी पर ‘द ताज स्टोरी’: परेश रावल की फिल्म को मिली चुनौतियाँ

 *सेंसर बोर्ड की कसौटी पर ‘द ताज स्टोरी’: परेश रावल की फिल्म को मिली चुनौतियाँ, निर्माताओं ने क्लियरेंस के लिए जमा किए ढेरों सबूत*


स्वर्णिम ग्लोबल सर्विसेज़ प्रा. लि., सीए सुरेश झा, लेखक-निर्देशक तुषार अमरीश गोयल और क्रिएटिव प्रोड्यूसर विकास राधेश्याम द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब परेश रावल अभिनीत ‘द ताज स्टोरी’ की घोषणा हुई थी, तभी से यह फिल्म पूरे देश में जिज्ञासा और चर्चा का विषय बनी हुई है। परेश रावल के साथ फिल्म में ज़ाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ, नमित दास, वीना झा, लतिका वर्मा, स्वर्णिम और सर्वगया जैसे मज़बूत कलाकारों की टोली नज़र आएगी। यह एक दमदार सामाजिक ड्रामा है, जो बेख़ौफ़ होकर हमारे समय के सबसे उत्तेजक प्रश्नों में से एक उठाती है।


फिल्म से जुड़े एक उद्योग सूत्र ने बताया, “सेंसर बोर्ड ने फिल्म की संवेदनशील विषय-वस्तु को देखते हुए इसे पास करने में कई महीने लगाए। चूंकि यह फिल्म दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल और उससे जुड़ी अनकही कहानियों को बेबाकी से छूती है, इसलिए निर्देशक और निर्माता से उनके दावों को साबित करने और प्रोजेक्ट की रचनात्मक सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए कई दस्तावेज़ और सबूत माँगे गए। फिल्म का यह क्लियरेंस सफ़र भी इसकी कहानी जितना ही नाटकीय और तीव्र रहा।”



हालाँकि यह प्रक्रिया निर्माताओं के लिए चुनौतीपूर्ण रही, लेकिन इससे फिल्म को लेकर उत्सुकता और भी बढ़ गई है। इंडस्ट्री का मानना है कि सेंसर बोर्ड की गहन छानबीन और अंततः मिली मंजूरी न केवल फिल्म की प्रामाणिकता को मज़बूत करती है, बल्कि ‘द ताज स्टोरी’ को एक साहसिक सिनेमाई बयान के रूप में स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। दमदार पटकथा और शक्तिशाली अदाकारी के साथ यह फिल्म रिलीज़ के बाद व्यापक बहस और संवाद को जन्म देने वाली है।


तुषार अमरीश गोयल द्वारा लिखित और निर्देशित, तथा विकास राधेश्याम के क्रिएटिव प्रोडक्शन में बनी और रोहित शर्मा के संगीत से सजी यह फिल्म महज़ एक ऐतिहासिक या पीरियड ड्रामा नहीं है; यह एक सिनेमाई बहस है, जो लंबे समय से चली आ रही ऐतिहासिक धारणाओं को चुनौती देने का प्रयास करती है। इसकी केंद्रीय थीम वही पुराना सवाल है—क्या ताजमहल वास्तव में शाहजहाँ ने बनवाया था या फिर इतिहास के पन्नों में कहीं कोई और जटिल और छिपा हुआ सच दबा हुआ है?


31 अक्टूबर, 2025 को भव्य राष्ट्रव्यापी रिलीज़ के लिए तैयार ‘द ताज स्टोरी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक ऐसा विमर्श साबित होने वाली है जो दर्शकों को इतिहास, पहचान और आज़ादी को लेकर अपने नज़रिए पर दोबारा सोचने और पुनः परिभाषित करने के लिए प्रेरित करेगी।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.