एण्डटीवी के कलाकारों ने साझा किए वो यादगार पल जब वे बने माता-पिता!
ज़िंदगी में कुछ पल दिल पर ऐसा असर छोड़ जाते हैं जो उम्रभर नहीं मिटते और मां-बाप बनना एक ऐसा ही सबसे खूबसूरत पल होता है। यह एक एहसास है, जिसमें ढेर सारी भावनाएं, अपनापन और ज़िम्मेदारी का एक नया रंग जुड़ जाता है। इस नेशनल पेरेंट्स डे पर, एण्डटीवी के कलाकार योगेश त्रिपाठी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह) और शुभांगी अत्रे (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी) बता रहे हैं वो खास पल जब वे पहली बार मां-बाप बने, जब वक्त जैसे थम गया और उनकी दुनिया हमेशा के लिए बदल गई। ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में दरोगा हप्पू सिंह का किरदार निभा रहे योगेश त्रिपाठी बताते हैं, “जिस दिन मेरा बेटा दक्षेश पैदा हुआ, अंदर कुछ बदल-सा गया। जब उसे पहली बार गोद में उठाया, मेरी आंखों से आँसू खुद-ब-खुद बहने लगे। वो नन्हा-सा मासूम चेहरा, अधखुली आंखों से मुझे देख रहा था, उस पल मेरी पूरी दुनिया जैसे थम गई थी। मेरा परिवार पहली बार मुझे सबके सामने रोते हुए देख रहा था। बेटे ने मुझे वैसे बदला, जैसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था। और जब मेरी बेटी आई, तो वही चमत्कार एक बार फिर दोहराया गया। सच कहूं तो वो अपनी छोटी सी उंगली पर मुझे नचा लेती है। पिता बनना मेरे लिए एक विनम्र अनुभव रहा, इसने मुझे मेरी भावनाओं, जिम्मेदारियों और उस इंसान के और करीब ला दिया, जो मैं अपने बच्चों के लिए बनना चाहता हूं।”
‘भाबीजी घर पर हैं’ की अंगूरी भाबी ऊर्फ शुभांगी अत्रे ने कहा, “उस पल को मैं कभी नहीं भूल सकती जब मैंने अपनी बेटी आशी को पहली बार देखा। जैसे ही वो मेरी गोद में आई, मैं बस ठहर-सी गई। इतना गहरा भाव कभी महसूस नहीं किया था! एक ऐसा प्यार, जिसमें दिल एक साथ खुशी से फूला भी और फिर कांपा भी। मैंने उसे कसकर थाम लिया और बस रोती रही। पहली बार लगा कि किसी को खुद से ज्यादा प्यार करना कैसा होता है। उस पल मेरी पूरी दुनिया सिमटकर बस उसी की सांसों और नन्हीं उंगलियों में आ गई थी। मुझे आज भी याद है जब हम पहली बार उसे पुणे घर लेकर आए थे, पूरा परिवार फूलों और गुब्बारों के साथ स्वागत के लिए खड़ा था। आशी मेरी रौशनी है, मेरी ताक़त है। उसने मुझे ज़मीन से जोड़ा, इंसानियत सिखाई और ढेर सारा सब्र भी।”
देखिये ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ रात 10ः00 बजे और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ रात 10ः30 बजे, हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर!

