_*अंगूरी भाबी फेम शुभांगी अत्रे ने किया खुलासा- मुश्किल वक्त में मेघा धाडे़ ने दिया साथ*_
*एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में ‘अंगूरी भाबी‘* के किरदार से मशहूर हुईं शुभांगी अत्रे के लिए शोहरत की ये राह हमेशा आसान नहीं रही। एक समय ऐसा भी आया जब सपनों के शहर में ज़िंदगी ने उन्हें इस कदर आज़माया कि उनके सिर से छत भी छिन गई थी। लेकिन हर मुश्किल कहानी की तरह, शुभांगी की ज़िंदगी में भी एक मोड़ आया, जहां एक अजनबी का सहारा, अपनापन और संवेदना उनकी ताकत बन गया। अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए शुभांगी अत्रे ऊर्फ अंगूरी भाबी ने कहा, _“ऐसा लगता है जैसे वो कल ही की बात हो। मैं अपने सपनों को लेकर मुंबई आई थी और वह भी अपनी 10 महीने के बेटी को पुणे में पीछे छोड़कर। वो मेरे लिए आज तक का सबसे मुश्किल फैसला रहा है। एक महीने के भीतर मुझे एक शो मिल गया और लगने लगा कि अब सब कुछ ठीक हो रहा है। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। मैं मुंबई में कुछ लड़कियों के साथ एक पीजी में रहती थीं। एक दिन जब मैं शूटिंग से लौटीं तो वहां अफरा-तफरी मची थी। मकान मालिक ने बिना किसी चेतावनी के सभी से तुरंत कमरा खाली करने को कह दिया। मैं बिल्कुल अकेली थी, शहर नया था, मैं अपनी बेटी को मिस कर रही थी और अब रहने की जगह भी नहीं रही। मैं उस समय मुंबई में एक-दो लोगों को ही जानती थी। मैं पूरी तरह से टूट गई थी और मैंने तो वापस पुणे लौटने और एक्टिंग का सपना छोड़ देने का मन बना लिया था। लेकिन इसी मुश्किल घड़ी में एक दोस्त के रूप में मुझे उम्मीद की एक किरण नजर आई। मैंने उस वक्त सिर्फ एक ही इंसान के बारे में सोचा- मेरी दोस्त और एक्ट्रेस मेघा धाडे। हम शूटिंग के दौरान मिले थे। मैंने उन्हें कॉल किया और सब बताया। बिना एक पल सोचे उन्होंने कहा, ‘जहां हो वहीं रुको, मैं आ रही हूं।’ और वो आईं भी। उन्होंने मुझे अपने घर ले जाकर पनाह दी, सहारा दिया और सबसे जरूरी-उम्मीद दी। मैं उस मदद को कभी नहीं भूल सकती।”_
_जिंदगी बदल देने वाले उस पल को याद करते हुए उन्होंने आगे कहा, “हर किसी की ज़िंदगी में एक ऐसा इंसान होना चाहिए, जो मुश्किल वक़्त में बिना बुलाए साथ खड़ा हो जाए। मेरे लिए वो इंसान मेघा थी। उसने मुझे न सिर्फ रहने की जगह नहीं दी, बल्कि एक ऐसे समय में मुझे हिम्मत भी दी जब मैं सबसे ज्यादा टूटी हुई महसूस कर रही थी। हम अकसर सफलता का जश्न मनाते हैं, लेकिन सच तो ये है कि इंसान को गढ़ने वाले पल वही होते हैं जब ज़िंदगी हमें कसौटी पर परखती है। मुंबई ने मुझे कई तरह से आज़माया, लेकिन इसी शहर ने मुझे मेघा जैसे फरिश्ते भी दिए। आज भी अगर मेघा का फोन आता है, तो मैं सब कुछ छोड़कर उसके लिए खड़ी हो जाती हूं। हमारा रिश्ता सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं है - हम एक-दूसरे की सोल सिस्टर्स हैं, जिन्होंने ज़िंदगी के कई तूफान एकसाथ झेले हैं।”_
_*शुभांगी अत्रे को अंगूरी भाबी के रूप में देखिये, ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में, हर सोमवार से शुक्रवार, रात 10ः30 बजे, सिर्फ एण्डटीवी पर!*_