वैशाली सामंत ने नन्हे कैंसर योद्धाओं के लिए किमाया सिंघानिया की कला प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
सिर्फ सत्रह साल की उम्र में, कलाकार किमाया सिंघानिया ने वो कर दिखाया है, जो शायद उनकी उम्र के बहुत कम लोग सोच पाते हैं। उन्होंने 12 से 17 वर्ष के बच्चों और पेशेवर कलाकारों को एक साथ लाकर ‘अर्पण आर्ट एग्जिबिशन’ नामक एक समूह प्रदर्शनी आयोजित की है, जो 'देने की भावना' को दर्शाती है। सहयोग आर्ट फाउंडेशन की मदद से साकार हुई यह प्रदर्शनी उन बच्चों को समर्पित है जो कैंसर से जूझ रहे हैं। इस प्रदर्शनी से होने वाली आय का एक हिस्सा कडल्स फाउंडेशन (Cuddles Foundation) को दिया जाएगा, जो कैंसर पीड़ित बच्चों को पोषण, भावनात्मक सहयोग और सम्मानजनक उपचार प्रदान करती है।
यह प्रदर्शनी, जो कि 18 मई 2025 तक ब्रीच कैंडी स्थित सिम्रोज़ा आर्ट गैलरी में चलेगी, एक भावुक क्षण के साथ शुरू हुई। दिग्गज गायिका-संगीतकार वैशाली सामंत ने एजुकेशनल कोऑडिनेटर अदिति शाह के साथ मिलकर इसका उद्घाटन किया, जिसमें किमाया सिंघानिया, उनके मार्गदर्शक कलाकार सत्येन्द्र राणे और प्रतिभाशाली बाल कलाकार भी उपस्थित थे।
इस प्रदर्शनी में 29 से अधिक कलाकारों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाएंगी – जिन में से 22 युवा कलाकार हैं और बाकी पेशेवर। इन कलाकारों की कलाकृतियाँ ऐक्रेलिक, मिक्स्ड मीडिया और स्कल्पचर जैसी विविध विधाओं में हैं। हर कला कृति एक श्रद्धांजलि है – शैली या तकनीक से नहीं, बल्कि भावना और उद्देश्य से एकजुट। हर रंग, हर रेखा एक दयाभाव की अभिव्यक्ति है।
किमाया कहती हैं, "हर किसी को पूरा जीवन जीने का अधिकार है, और जब कैंसर जैसा रोग बच्चों की ज़िंदगी को अचानक रोक देता है, तो मन करता है कि किसी भी तरह से उनकी मदद की जाए। जब मुझे कडल्स फाउंडेशन के कार्यों के बारे में पता चला, तो मैंने तय किया कि मुझे कुछ करना है। ‘अर्पण आर्ट एग्जिबिशन’ मेरा तरीका बना योगदान देने का – सिर्फ आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि अन्य युवाओं को भी इस नेक प्रयास में जोड़ने का।”
हिल स्प्रिंग इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा किमाया की खुद की कलाकृतियाँ घर की भावना को दर्शाती हैं। उनके चित्रों में सुरक्षा और सुकून को चित्रित किया गया है – वह एहसास जो हर बच्चे को मिलना चाहिए, ख़ासतौर पर उन बच्चों को जो अस्पतालों में कठिन दौर से गुज़र रहे हैं।
इस पूरे प्रयास के पीछे वरिष्ठ कलाकार और किमाया के गुरु सत्येन्द्र राणे का मार्गदर्शन रहा है, जिनकी प्रेरणा और सहयोग से यह प्रदर्शनी साकार हो सकी। वे कहते हैं, “इस उम्र में किमाया की संवेदनशीलता और समर्पण वाकई प्रेरणादायक हैं। उन्होंने न केवल दिल से एक प्रदर्शनी क्यूरेट की, बल्कि एक समुदाय को एक सार्थक उद्देश्य के लिए एकत्र किया। मुझे खुशी है कि मैं उनकी इस यात्रा में साथ हूं।”
किमाया एक गहरी बात के साथ अपनी बात समाप्त करती हैं, “इस प्रदर्शनी को क्यूरेट करना मेरे लिए एक बेहद संतोषजनक अनुभव रहा। मैंने सीखा कि जब आपका दिल सही जगह पर होता है, तो एक छोटा विचार भी एक बड़े बदलाव का रूप ले सकता है और सबसे ज़रूरी बात – बदलाव लाने के लिए उम्र की जरूरत नहीं होती, बस शुरुआत करने की हिम्मत होनी चाहिए।”